फ़िलिस्तीन मे रमज़ान मे इस्राएल का ज़ुल्म आज दुनया जिसे इस्राएल के नाम से जानती है. और उसे अम्नो अमान का मुल्क कहती है जो रोज़ निहत्त...
फ़िलिस्तीन मे रमज़ान मे इस्राएल का ज़ुल्म
आज दुनया जिसे इस्राएल के नाम से जानती है.
और उसे अम्नो अमान का मुल्क कहती है जो रोज़ निहत्ते लोगो पे गोली बाम बरसा के वहा की ज़मीन को बेगुनाहो के खून से रंगीन करते रहते है और दुनया खामोश तमाश बीन बन कर देख रही है और हैरत to तब होती है जब लोग फिलिस्तीनो को आतंगवादी कहते है क्यों की इसने लोगो को खरीद रखा है अगर सारे लोग उस ज़ुल्म के खिलाफ आवाज़ उठाये तो इसका किस्सा एक दिन मे ख़त्म हो जाइये मगर लोग डर के इसके खिलाफ नहीं बोलते...
आज दुनया जिसे इस्राएल के नाम से जानती है.
और उसे अम्नो अमान का मुल्क कहती है जो रोज़ निहत्ते लोगो पे गोली बाम बरसा के वहा की ज़मीन को बेगुनाहो के खून से रंगीन करते रहते है और दुनया खामोश तमाश बीन बन कर देख रही है और हैरत to तब होती है जब लोग फिलिस्तीनो को आतंगवादी कहते है क्यों की इसने लोगो को खरीद रखा है अगर सारे लोग उस ज़ुल्म के खिलाफ आवाज़ उठाये तो इसका किस्सा एक दिन मे ख़त्म हो जाइये मगर लोग डर के इसके खिलाफ नहीं बोलते...
इस वक़्त ओह था जब कुछ इस्राईली को अमेरिका की पॉलिसी के तहत यहाँ जबरी भेज दिया गया था और इस्राइली आतंगवादी फिलिस्तियों को मारते थे उन्हें लूटते थे उनकी ज़मीन पे ज़बरि क़ब्ज़ा कर लेते थे और अमेरिका उनकी मदद करता था और आज एक बहुत बड़ा हिस्सा इस्राईयो के क़ब्ज़े मे है और दुनया खामोश है...
दुनया जानती है की सही क्या है आउट गलत क्या है मगर ज़ुल्म के खिफाग कौन आवाज़ उठाये एक ईरान है और सही बात करता है मगर उसका कोई स्पोट नहीं करता और जितने इस्लामिक मुल्क है वाह भी बोलने से डरते है.. अभी कुछ ही दिन मे 100 से ज़्यादा लोगों को वहा मारा गया उनका खून बहाया गया यहाँ तक की रोज़ वहा कोई ना कोई मारा जाता है मगर सब खामोश है... हम कड़े लफ्ज़ो मे इस ज़ुल्म की मज़्ज़मत करते है और इस दुख और ज़ुल्म की घड़ी मे हम उनके साथ है
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