क्यक बाइदन का फैसला अमेरिका के लिए मील का पत्थर साबित हो सकता है? वैसे तो अमेरिका का ऐतिहास और ख़ास कर के इनके राष्ट्पति का इतिहास हमेशा से ...
क्यक बाइदन का फैसला अमेरिका के लिए मील का पत्थर साबित हो सकता है?
वैसे तो अमेरिका का ऐतिहास और ख़ास कर के इनके राष्ट्पति का इतिहास हमेशा से और खास कर ईरान के लिए सख्त रहा है,शाह की हुकूमत ज़ब से ख़त्म हुई है तब से आज तक दुन्या ने इन मुल्क के बीच मे सिर्फ नफरत देखी है, मगर हालिया अमेरिका के हालात कुछ और रूप देखा रहे है हाल ही मे अमेरिका केराष्ट्रपति जो बाइदन ने अमेरिकी विदेश नीति में महत्वपूर्ण बदलावों का संकेत दिया है। उन्होंने अपने प्रशासन को भी अद्वितीय बना दिया है और पूर्व राष्ट्रपति ट्रम्प के प्रशासन से अलग हैं। उनके प्रशासन के निर्णय जो अब तक सामने आए हैं, उनका सुझाव है कि बिडेन की राजनीतिक विचारधारा अन्य अमेरिकी राजनेताओं से भिन्न है। बिडेन ने योजनाओं को समाप्त करने पर विचार करना शुरू कर दिया है। यमन, सीरिया, इराक और अफगानिस्तान सहित मध्य पूर्व में कभी न खत्म होने वाला युद्ध। पूरी दुनिया को इस बात की जानकारी है कि अमेरिकी नीतियों ने युद्ध की ज्वाला को प्रज्वलित किया है।सुलिवन ने एक बयान में कहा कि राष्ट्रपति जो बिडेन यमन के खिलाफ चल रही आक्रामकता के समर्थन को वापस लेने में विश्वास करते हैं। बिडेन का दावा है कि वह यमन में युद्ध का अंत चाहते हैं। उन्होंने यह भी घोषणा करके दुनिया को चौंका दिया कि वह सऊदी अरब के लिए हथियार नहीं उठाएंगे। जारी युद्ध के पीछे औपनिवेशिक शक्तियों का निवेश था। सऊदी अरब औपनिवेशिक शक्तियों का एक भाड़े और उपकरण है, जिसने इस्लामी दुनिया को अपमानित करने में एक मिनट भी नहीं बख्शा है। यमन में शांति स्थापित की गई थी। क्या इस्लामी दुनिया में पकड़ होगी। सऊदी अरब और उसके सहयोगी जवाबदेह? क्या यमन के निर्दोष लोगों को इस्लामी दुनिया से न्याय की उम्मीद करनी चाहिए? अगर हाँ!
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